भारतीय इतिहास के 5 रोचक प्रश्न: जानिए कौन थीं पहली महिला राज्यपाल और किस युद्ध ने बदल दिया अशोक का जीवन?

भारत का इतिहास और संस्कृति जितना विशाल है, उतने ही रोचक और ज्ञानवर्धक हैं इससे जुड़े प्रश्न। आइए, आज जानते हैं ऐसे ही पाँच महत्वपूर्ण सवालों के जवाब, जो अक्सर परीक्षाओं या सामान्य ज्ञान की चर्चाओं में आते हैं। साथ ही जानेंगे कुछ ऐसे तथ्य जो इन जवाबों को और भी दिलचस्प बना देते हैं।

1. भारत की पहली महिला राज्यपाल कौन थीं?

  • जवाब: सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं।
  • रोचक तथ्य और इतिहास:
    • सरोजिनी नायडू को ‘भारत कोकिला’ के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि वे एक प्रसिद्ध कवयित्री भी थीं।
    • उन्होंने 15 अगस्त 1947 को ही, यानी देश के आज़ाद होने के ठीक बाद, संयुक्त प्रांत (आज के उत्तर प्रदेश) के राज्यपाल का पदभार संभाला। यह दर्शाता है कि नए भारत में महिलाओं को कितनी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ दी गईं।
    • वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष भी बनीं (1925 में कानपुर अधिवेशन)।
    • उनका कार्यकाल 15 अगस्त 1947 से लेकर उनकी मृत्यु (2 मार्च 1949) तक रहा। उनका राज्यपाल के रूप में कार्य करना न केवल एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, बल्कि देश की महिलाओं के लिए एक बड़ा प्रेरणास्रोत भी बना।

2. “अभिज्ञान शाकुंतलम” किसने लिखा?

  • जवाब: महाकवि कालिदास ने “अभिज्ञान शाकुंतलम” की रचना की।
  • रोचक तथ्य और इतिहास:
    • “अभिज्ञान शाकुंतलम” को संस्कृत साहित्य का शिखर और विश्व साहित्य की एक अमर कृति माना जाता है। यह नाटक राजा दुष्यंत और ऋषि कण्व की पालिता पुत्री शकुंतला के प्रेम, विवाह, विस्मृति और पुनर्मिलन की मार्मिक कथा कहता है।
    • कालिदास गुप्त काल (लगभग 4थी-5वीं शताब्दी ईस्वी) के दौरान हुए, जिसे भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है। उनकी कालजयी रचनाओं में मेघदूतम्, कुमारसंभवम् और रघुवंशम् भी शामिल हैं।
    • इस नाटक का अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। जर्मन विद्वान गोएथे ने इसकी प्रशंसा में कहा था: “क्या आप फूलों का वसंत और पके फलों का पतझड़ एक साथ चाहते हैं? क्या आप आकर्षित करने वाले और संतोष देने वाले को एक साथ चाहते हैं? मैं आपको शाकुंतलम के नाम से पुकारता हूँ, और एक बार में सब कुछ कह दिया जाता है।”

3. अशोक ने किस युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया?

  • जवाब: सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के भीषण परिणामों को देखने के बाद बौद्ध धर्म अपनाया।
  • रोचक तथ्य और इतिहास:
    • कलिंग युद्ध (लगभग 261 ईसा पूर्व) आज के ओडिशा राज्य में लड़ा गया था। यह अशोक के सैन्य अभियानों में सबसे बड़ा और सबसे खूनी युद्ध था।
    • अशोक के 13वें शिलालेख में इस युद्ध का विस्तृत विवरण है। उन्होंने लिखा है कि युद्ध में 1,00,000 लोग मारे गए और 1,50,000 से अधिक बंदी बनाए गए। इस नरसंहार ने उन्हें गहराई से झकझोर दिया।
    • इसी भयानक दृश्य ने अशोक का हृदय परिवर्तन कर दिया। उन्होंने युद्ध की नीति त्याग दी और बौद्ध धर्म को अपना लिया। उन्होंने धम्म (धर्म) के प्रचार पर जोर दिया, जिसमें अहिंसा, सत्य, करुणा और नैतिक जीवन के सिद्धांत शामिल थे।
    • अशोक ने बौद्ध धर्म को न केवल अपनाया, बल्कि उसे एशिया भर में फैलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने स्तूपों, स्तंभों और शिलालेखों का निर्माण कराया और धर्म प्रचारकों को विदेशों में भेजा।

4. “दीन-ए-इलाही” किसने शुरू किया?

  • जवाब: मुगल बादशाह अकबर ने “दीन-ए-इलाही” (ईश्वर का धर्म) नामक एक नए धार्मिक पंथ की शुरुआत की।
  • रोचक तथ्य और इतिहास:
    • दीन-ए-इलाही की घोषणा 1582 ईस्वी में की गई थी। अकबर का उद्देश्य था एक सार्वभौमिक धर्म बनाना जो विभिन्न धर्मों (विशेषकर इस्लाम, हिंदू धर्म, जैन धर्म, ईसाई धर्म और जरथुस्त्र धर्म) के सर्वोत्तम सिद्धांतों और प्रथाओं को मिलाकर बनाया जाए।
    • यह धर्म सहिष्णुता और एकता का प्रतीक था। इसमें अच्छे कर्म, नैतिकता, ईश्वर की एकता और गुरु (अकबर स्वयं) के प्रति समर्पण पर बल दिया गया।
    • हालाँकि, यह पंथ लोकप्रिय नहीं हो सका। इसके अनुयायियों की संख्या बहुत कम रही (कुछ सौ अभिजात वर्ग के लोग)। अकबर की मृत्यु के बाद यह पंथ लगभग समाप्त हो गया। इसका मुख्य महत्व अकबर की धार्मिक उदारवादी नीतियों और ‘सुलह-ए-कुल’ (सभी के साथ शांति) की अवधारणा को दर्शाने में है।

5. कथक किस राज्य का शास्त्रीय नृत्य है?

  • जवाब: कथक को मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य माना जाता है, विशेषकर जयपुर, लखनऊ और वाराणसी (बनारस) घरानों के केंद्रों के कारण।
  • रोचक तथ्य और इतिहास:
    • कथक शब्द संस्कृत के ‘कथा’ (कहानी) शब्द से बना है, जिसका अर्थ है ‘कहानी कहने वाला’। प्राचीन काल में कथाकार (कथा वाचक) मंदिरों में पौराणिक कथाएँ सुनाते थे और उन्हें नृत्य, मुद्राओं और भाव-भंगिमाओं के माध्यम से प्रस्तुत करते थे। यही कथक नृत्य का मूल रूप था।
    • मुगल काल में कथक ने राजदरबारों में प्रवेश पाया। इस दौरान इस पर फारसी नृत्य शैलियों का प्रभाव पड़ा और घूमने (चक्कर) और तत्कार (पैरों की जटिल थापें) पर अधिक जोर दिया जाने लगा। इसी काल में प्रमुख घराने (जयपुर, लखनऊ, बनारस) विकसित हुए।
    • कथक की विशेषताएँ: पैरों की जटिल थापें और तालबद्धता, तेज घूर्णन (चक्कर), सुंदर मुद्राएँ (हस्तक), भाव-भंगिमा (अभिनय) और गरबा या झूमर जैसे लोक नृत्यों से मिलता-जुलता आकर्षक लालित्य।
    • हालाँकि इसकी जड़ें उत्तर भारत (विशेषकर उत्तर प्रदेश) में हैं, कथक आज पूरे भारत और विश्व में प्रसिद्ध और प्रचलित है।

निष्कर्ष:

भारत की पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू का नाम इतिहास में अमर है। महाकवि कालिदास की ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ साहित्य की अमूल्य धरोहर है। कलिंग युद्ध का भीषण दृश्य सम्राट अशोक के जीवन का टर्निंग पॉइंट बना। अकबर का दीन-ए-इलाही धार्मिक सहिष्णुता का एक अनूठा प्रयोग था। और कथक नृत्य उत्तर प्रदेश की मिट्टी से उपजी वह कला है जो कहानी कहने की प्राचीन परंपरा को नृत्य के माध्यम से जीवित रखे हुए है।

ये सभी तथ्य भारत की समृद्ध, विविधतापूर्ण और चिंतनप्रधान सांस्कृतिक धरोहर की झलक देते हैं। इतिहास की ये कहानियाँ न केवल ज्ञान बढ़ाती हैं बल्कि हमें अपनी विरासत पर गर्व करने का अवसर भी देती हैं।

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