भारत की सांस्कृतिक धरोहर में शास्त्रीय नृत्य एक अनमोल रत्न है, जो न केवल कला का प्रतीक है, बल्कि हमारी प्राचीन परंपराओं, भक्ति और दर्शन को भी जीवंत करता है। भारत के शास्त्रीय नृत्य जैसे भरतनाट्यम, कथक, कथकली, ओडिसी, और कुचिपुड़ी, प्रत्येक अपनी अनूठी शैली और क्षेत्रीय पहचान के साथ, भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे SSC, UPSC, और अन्य सरकारी परीक्षाओं में शास्त्रीय नृत्य MCQs सामान्य ज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
इस ब्लॉग में, हम आपके लिए Indian classical dances quiz के रूप में 15 विशेष रूप से तैयार किए गए बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) प्रस्तुत करते हैं, जो न केवल आपके ज्ञान को परखेंगे, बल्कि आपको इन नृत्यों की उत्पत्ति, शैली, और सांस्कृतिक महत्व के बारे में गहराई से समझने में मदद करेंगे। चाहे आप SSC UPSC preparation कर रहे हों या भारतीय कला के प्रेमी हों, यह शास्त्रीय नृत्य क्विज आपके लिए एक रोचक और ज्ञानवर्धक अनुभव होगा।
भारत के शास्त्रीय नृत्य क्विज (Indian Classical Dances Quiz in Hindi)
1. भारत का कौन सा शास्त्रीय नृत्य “नृत्य नाटिका” के रूप में जाना जाता है और केरल में उत्पन्न हुआ है?
Explanation:
- उत्पत्ति और सांस्कृतिक महत्व: कथकली, केरल का एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्य, नृत्य और नाटक का अनूठा मिश्रण है, जो 17वीं शताब्दी में विकसित हुआ। यह “नृत्य नाटिका” के रूप में प्रसिद्ध है, जिसमें कलाकार पौराणिक कथाओं को नाटकीय ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
- प्रदर्शन शैली: कथकली में रंग-बिरंगे परिधान, भारी मेकअप, और चेहरे के भावों (नवरस) का उपयोग होता है। यह नृत्य रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों पर आधारित कहानियों को दर्शाता है।
- संगीत और वाद्य यंत्र: कथकली प्रदर्शन में चेंडा, मृदंगम, और मंजीरा जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ कर्नाटक संगीत का उपयोग होता है, जो इसे विशिष्ट बनाता है।
2. निम्नलिखित में से कौन सा शास्त्रीय नृत्य उत्तर प्रदेश से संबंधित है और “कहानी कहने” की शैली के लिए प्रसिद्ध है?
Explanation:
- उत्पत्ति और क्षेत्र: कथक, उत्तर भारत, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और राजस्थान से उत्पन्न हुआ, जो मुगल और हिंदू संस्कृतियों का संगम दर्शाता है। यह “कथा” (कहानी) शब्द से लिया गया है।
- नृत्य की विशेषताएं: कथक में तेज पैरों की थिरकन (तत्कार), चक्कर, और भावपूर्ण अभिनय शामिल हैं। यह भक्ति और प्रेम की कहानियों को प्रस्तुत करता है, जैसे राधा-कृष्ण की कथाएँ।
- विकास और शैली: मुगल दरबारों में कथक ने शाही प्रदर्शन की शक्ल ली, जबकि भक्ति परंपरा में यह मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता था, जिससे इसकी दो शैलियाँ—लखनऊ और जयपुर घराना—विकसित हुईं।
3. भरतनाट्यम नृत्य की उत्पत्ति किस भारतीय राज्य से मानी जाती है?
Explanation:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: भरतनाट्यम, तमिलनाडु का प्राचीन शास्त्रीय नृत्य, देवदासी परंपरा से जुड़ा है और इसे भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से प्रेरित माना जाता है।
- नृत्य की संरचना: यह नृत्य नृत्त (तकनीकी चालें), नाट्य (अभिनय), और नृत्य (भावात्मक प्रस्तुति) का संयोजन है, जो इसे संतुलित और सुंदर बनाता है।
- सांस्कृतिक महत्व: भरतनाट्यम मंदिरों में भक्ति प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ और आज यह विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जो तमिलनाडु की समृद्ध कला को दर्शाता है।
4. निम्नलिखित में से कौन सा शास्त्रीय नृत्य मणिपुर से संबंधित है और वैष्णव भक्ति परंपरा को दर्शाता है?
Explanation:
- उत्पत्ति और थीम: मणिपुरी नृत्य, मणिपुर से उत्पन्न, वैष्णव भक्ति परंपरा पर आधारित है और राधा-कृष्ण की प्रेम कहानियों को केंद्र में रखता है।
- नृत्य शैली: इस नृत्य में कोमल और तरल गतियाँ होती हैं, जो इसे अन्य शास्त्रीय नृत्यों से अलग करती हैं। इसमें लास्य (नारी शैली) का प्रभाव प्रमुख है।
- संगीत और वाद्य यंत्र: मणिपुरी नृत्य में पंगचोलम और मंजीरा जैसे वाद्य यंत्रों के साथ मणिपुरी संगीत का उपयोग होता है, जो प्रदर्शन को और आकर्षक बनाता है।
5. संगीत नाटक अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त भारत के शास्त्रीय नृत्यों की संख्या कितनी है?
Explanation:
- मान्यता प्राप्त नृत्य: संगीत नाटक अकादमी ने 8 शास्त्रीय नृत्यों को मान्यता दी है: भरतनाट्यम, कथक, कथकली, मणिपुरी, ओडिसी, कुचिपुड़ी, सत्रिया, और मोहिनीअट्टम।
- सांस्कृतिक विविधता: ये नृत्य भारत के विभिन्न राज्यों से उत्पन्न हुए हैं और प्रत्येक की अपनी विशिष्ट शैली, संगीत, और परंपरा है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाता है।
- महत्व: ये नृत्य न केवल कला के रूप हैं, बल्कि भारतीय इतिहास, धर्म, और दर्शन को भी प्रस्तुत करते हैं, जो इन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में महत्वपूर्ण बनाता है।
6. निम्नलिखित में से कौन सा शास्त्रीय नृत्य ओडिशा से संबंधित है और भगवान जगन्नाथ की भक्ति को दर्शाता है?
Explanation:
- उत्पत्ति और थीम: ओडिसी, ओडिशा का शास्त्रीय नृत्य, प्राचीन मंदिर परंपराओं से जुड़ा है और भगवान जगन्नाथ, राधा-कृष्ण, और वैष्णव भक्ति को केंद्र में रखता है।
- नृत्य की विशेषताएँ: इस नृत्य में कोमल और लयबद्ध गतियाँ, मुद्राएँ, और भावपूर्ण अभिनय शामिल हैं, जो इसे लास्य (स्त्रीलिंग शैली) और तांडव (पुल्लिंग शैली) का संतुलन बनाता है।
- सांस्कृतिक महत्व: ओडिसी को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देवदासियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता था, और आज यह ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, जो वैश्विक मंच पर भी लोकप्रिय है।
7. कुचिपुड़ी नृत्य की उत्पत्ति किस राज्य से हुई है, और यह किस प्रकार की कथावाचन शैली के लिए जाना जाता है?
Explanation:
- उत्पत्ति और विकास: कुचिपुड़ी, आंध्र प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य, 17वीं शताब्दी में सिद्धेंद्र योगी द्वारा विकसित किया गया, जो भक्ति और कथावाचन पर आधारित है।
- प्रदर्शन शैली: इस नृत्य में नृत्य, नाटक, और संगीत का मिश्रण होता है, जिसमें कलाकार पौराणिक कथाओं को नृत्य-नाटिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जैसे कृष्ण-लीला।
- विशिष्टता: कुचिपुड़ी में “तारंगम” प्रदर्शन, जिसमें नर्तक एक पीतल की थाली पर नृत्य करता है, और तेज गतियाँ इसे अन्य नृत्यों से अलग बनाती हैं।
8. मोहिनीअट्टम नृत्य किस राज्य से संबंधित है और इसे किस शैली के लिए जाना जाता है?
Explanation:
- उत्पत्ति और पृष्ठभूमि: मोहिनीअट्टम, केरल का शास्त्रीय नृत्य, “मोहिनी” (विष्णु का स्त्री अवतार) से प्रेरित है और 19वीं शताब्दी में पुनर्जनन हुआ।
- नृत्य की शैली: यह लास्य शैली पर आधारित है, जिसमें कोमल, तरल गतियाँ और भावनात्मक अभिनय शामिल हैं, जो इसे नारी सौंदर्य का प्रतीक बनाता है।
- संगीत और परिधान: मोहिनीअट्टम में कर्नाटक संगीत और मलयालम भक्ति गीतों का उपयोग होता है, और नर्तक सफेद-स्वर्ण साड़ी पहनते हैं, जो इसकी सादगी को दर्शाता है।
9. सत्रिया नृत्य किस राज्य से उत्पन्न हुआ और इसे किसके द्वारा स्थापित किया गया?
Explanation:
- उत्पत्ति और संस्थापक: सत्रिया, असम का शास्त्रीय नृत्य, 15वीं शताब्दी में वैष्णव संत शंकरदेव द्वारा स्थापित किया गया, जो भक्ति आंदोलन का हिस्सा था।
- प्रदर्शन और थीम: यह नृत्य वैष्णव मठों (सत्रों) में प्रस्तुत किया जाता है और रामायण, महाभारत, और कृष्ण-लीला जैसे धार्मिक विषयों पर आधारित है।
- सांस्कृतिक महत्व: सत्रिया असम की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है, और इसे 2000 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा शास्त्रीय नृत्य का दर्जा मिला।
10. निम्नलिखित में से कौन सा शास्त्रीय नृत्य भरत मुनि के “नाट्यशास्त्र” से सबसे अधिक प्रभावित है?
Explanation:
- नाट्यशास्त्र का प्रभाव: भरतनाट्यम, तमिलनाडु का शास्त्रीय नृत्य, भरत मुनि के “नाट्यशास्त्र” पर आधारित है, जो नृत्य, नाटक, और संगीत का प्राचीन ग्रंथ है।
- संरचना और तकनीक: इस नृत्य में नृत्त (शुद्ध नृत्य), नाट्य (अभिनय), और भाव (भावनात्मक प्रस्तुति) का उपयोग होता है, जो नाट्यशास्त्र के सिद्धांतों को दर्शाता है।
- ऐतिहासिक महत्व: भरतनाट्यम मंदिरों में देवदासियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता था, और इसका पुनर्जनन 20वीं शताब्दी में हुआ, जिसने इसे वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया।
11. कथक नृत्य की कौन सी शैली कोमल अभिनय, ठुमरी और गजल पर आधारित नृत्य, और सूक्ष्म चेहरे के भावों (भव) के लिए प्रसिद्ध है?
Explanation:
- घराने की उत्पत्ति: लखनऊ घराना, कथक नृत्य की एक प्रमुख शैली, 19वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मुगल दरबारों के संरक्षण में विकसित हुआ, जो हिंदू और इस्लामी संस्कृतियों का संगम दर्शाता है।
- प्रदर्शन की विशेषता: यह घराना कोमल और भावपूर्ण अभिनय के लिए जाना जाता है, जिसमें ठुमरी, गजल, और दादरा जैसे संगीत रूपों पर नृत्य प्रस्तुत किया जाता है। नर्तक सूक्ष्म चेहरे के भावों (भव) और हस्त मुद्राओं का उपयोग करते हैं।
- सांस्कृतिक प्रभाव: लखनऊ घराने ने कथक को शाही मंचों पर परिष्कृत किया, और पं. बिरजू महाराज जैसे महान नर्तकों ने इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया।
12. निम्नलिखित में से कौन सा शास्त्रीय नृत्य “तांडव” और “लास्य” शैलियों का संतुलन दर्शाता है?
Explanation:
- शैली का संतुलन: ओडिसी, ओडिशा का शास्त्रीय नृत्य, तांडव (शक्ति और गति) और लास्य (कोमलता और सौंदर्य) का सामंजस्य प्रस्तुत करता है, जो इसे संपूर्ण बनाता है।
- नृत्य की संरचना: इसमें भंगिमाएँ, जैसे त्रिभंगी (शरीर का तीन हिस्सों में झुकाव), और मुद्राएँ शामिल हैं, जो पौराणिक कथाओं को जीवंत करती हैं।
- मणिपुरी से अंतर: मणिपुरी नृत्य मुख्य रूप से लास्य शैली पर केंद्रित है, जिसमें कोमल और तरल गतियाँ प्रमुख हैं। इसका चोलम रूप तांडव दर्शाता है, पर यह शास्त्रीय मणिपुरी का मुख्य हिस्सा नहीं है।
- सांस्कृतिक महत्व: ओडिसी की यह विशेषता इसे मंदिर नृत्य परंपरा और आधुनिक मंच प्रदर्शन दोनों में प्रभावशाली बनाती है, जो भारतीय कला की गहराई को दर्शाती है।
13. भरतनाट्यम में “अलारिप्पु” का क्या महत्व है?
Explanation:
- अलारिप्पु की भूमिका: अलारिप्पु, भरतनाट्यम प्रदर्शन का पहला चरण, एक शुद्ध नृत्य (नृत्त) है जो नर्तक के शरीर को लय और ताल के साथ तैयार करता है।
- प्रदर्शन शैली: इसमें सरल मुद्राएँ, तालबद्ध चरण, और सममित गतियाँ शामिल होती हैं, जो नृत्य की तकनीकी शुद्धता को दर्शाती हैं।
- आध्यात्मिक महत्व: अलारिप्पु को मंदिर में देवता के समक्ष नमस्कार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो नृत्य को पवित्र और शुभ बनाता है।
14. कथकली नृत्य में “नवरस” का क्या अर्थ है, और इसका उपयोग कैसे होता है?
Explanation:
- नवरस का अर्थ: कथकली में नवरस नौ भावनाओं (शृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, बीभत्स, अद्भुत, शांत) को दर्शाता है, जो अभिनय का आधार हैं।
- उपयोग और शैली: नर्तक चेहरे के भाव, आँखों की गतियों, और मेकअप के माध्यम से इन भावों को व्यक्त करते हैं, जिससे कहानी जीवंत हो उठती है।
- सांस्कृतिक महत्व: नवरस कथकली को नाटकीय और भावनात्मक गहराई प्रदान करते हैं, जिससे यह दर्शकों के लिए प्रभावशाली और मनोरंजक बनता है।
15. कुचिपुड़ी नृत्य में “तारंगम” प्रदर्शन की क्या विशेषता है?
Explanation:
- तारंगम की विशिष्टता: तारंगम, कुचिपुड़ी का एक अनूठा प्रदर्शन, जिसमें नर्तक एक पीतल की थाली पर संतुलन बनाते हुए नृत्य करता है, जो तकनीकी कौशल को दर्शाता है।
- प्रदर्शन की तकनीक: नर्तक तेज ताल और लय में पैरों की गतियों का उपयोग करता है, जो दर्शकों को आकर्षित करता है और नृत्य की जटिलता को उजागर करता है।
- सांस्कृतिक महत्व: तारंगम कुचिपुड़ी की रचनात्मकता और शारीरिक निपुणता का प्रतीक है, जिसने इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रसिद्ध बनाया।
अधिक जानकारी के लिए, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर शास्त्रीय नृत्यों के बारे में विस्तृत संसाधन देखें।
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भारत के शास्त्रीय नृत्य न केवल एक कला रूप हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का जीवंत दस्तावेज भी हैं। इस Indian classical dances quiz के माध्यम से, हमने भरतनाट्यम, कथक, मोहिनीअट्टम, सत्रिया, और अन्य नृत्यों की विशेषताओं, उत्पत्ति, और महत्व को समझने का प्रयास किया। ये शास्त्रीय नृत्य MCQs न केवल SSC, UPSC, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी हैं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक हैं, जो भारतीय कला और संस्कृति के प्रति उत्सुक है।
इस क्विज के साथ अपनी तैयारी को और मजबूत करें, और इन नृत्यों की सुंदरता को अपने जीवन में उतारें। शास्त्रीय नृत्य क्विज के साथ अपनी ज्ञान यात्रा को जारी रखें, और भारतीय संस्कृति के इस अनमोल खजाने को और करीब से जानें।