National Cashew Day in Hindi: जानिए राष्ट्रीय काजू दिवस 2025 के बारे में

National Cashew Day in Hindi: क्या आपने कभी सोचा है कि वह काजू, जो आपकी दीवाली की मिठाई में खास जगह बनाता है, उसका अपना एक विशेष दिवस है? हर साल 23 नवंबर को दुनिया भर में National Cashew Day मनाया जाता है, और यह भारतीयों के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत काजू उत्पादन में विश्व का अग्रणी देशों में से एक है।

क्या है National Cashew Day और क्यों है यह खास?

National Cashew Day एक वार्षिक उत्सव है जो काजू के पोषण मूल्य, ऐतिहासिक महत्व और वैश्विक कृषि प्रभाव को सम्मानित करता है। यह दिन काजू के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके स्वास्थ्य लाभों को बताने के लिए मनाया जाता है। काजू की यात्रा ब्राज़ील से शुरू होकर भारत तक पहुँची, जहाँ 16वीं सदी में पुर्तगाली व्यापारियों ने इसे लाया था।

भारत के लिए यह दिन केवल एक विदेशी उत्सव नहीं, बल्कि हमारे किसानों और अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। देश में लगभग 0.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर काजू की खेती होती है, जिससे सालाना 8 लाख टन से अधिक उत्पादन होता है।

राष्ट्रीय काजू दिवस का इतिहास

राष्ट्रीय काजू दिवस को पहली बार 23 नवंबर 2015 को मनाया गया था। इस दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई, जहाँ काजू के पोषण मूल्य और सांस्कृतिक महत्व को पहचानने के लिए इसे एक विशेष दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया ।

काजू की कहानी ब्राज़ील से शुरू होती है, जहाँ तुपी आदिवासी लगभग 9,000 साल से इसे खा रहे थे। 1498 में जब पुर्तगाली व्यापारी भारत के गोवा पहुँचे, तो उन्होंने 1560 में काजू की खेती यहाँ शुरू की। शुरुआत में लोग काजू को जहरीला समझते थे क्योंकि इसके छिलके में विषैला अनाकार्डिक एसिड होता है, लेकिन तुपी आदिवासियों ने दुनिया को इसे सही तरीके से प्रोसेस करना सिखाया।

भारत में काजू को मुगल काल से ही पसंद किया जाता रहा है। अकबर को काजू कोरमा और जहांगीर को काजू कतली बहुत पसंद थी। आज भारत कोटे डी आइवर के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा काजू उत्पादक और निर्यातक देश है।

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भारत में काजू उत्पादन: किस राज्य में कितना?

यदि आप सोच रहे हैं कि भारत में काजू सबसे ज्यादा कहाँ पैदा होता है, तो जवाब है महाराष्ट्र। कोकण क्षेत्र की जलवायु काजू के लिए परफेक्ट है, और महाराष्ट्र हर साल 199,700 टन काजू का उत्पादन करके देश में पहले स्थान पर है। इसके बाद आंध्र प्रदेश (127,200 टन) और ओडिशा (121,300 टन) का नंबर आता है।

इससे स्पष्ट है कि काजू केवल एक ड्राई फ्रूट नहीं, बल्कि लाखों किसानों की आजीविका का साधन है। भारत न केवल अपनी जरूरतें पूरी करता है, बल्कि काजू का निर्यात भी करता है, जिससे विदेशी मुद्रा कमाई होती है ।

काजू खाने के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ

काजू को सुपरफूड कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि इसमें ऐसे पोषक तत्व हैं जो शरीर को मजबूत बनाते हैं। एक मुट्ठी काजू (लगभग 28 ग्राम) में 157 कैलोरी के साथ-साथ हृदय-स्वास्थ्यवर्धक असंतृप्त वसा, प्रोटीन, विटामिन ई, के, बी6, और खनिज पदार्थ जैसे मैग्नीशियम, जिंक, आयरन और फॉस्फोरस होते हैं।

यहाँ हैं कुछ प्रमुख लाभ:

  • हृदय स्वास्थ्य: काजू में मौजूद मैग्नीशियम दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है।
  • मधुमेह नियंत्रण: फाइबर और स्वस्थ वसा शरीर में शर्गर अब्जॉर्प्शन को धीमा करते हैं।
  • त्वचा और बाल: कॉपर और एंटीऑक्सीडेंट कोलेजन उत्पादन को बढ़ाते हैं, जिससे त्वचा जवान रहती है और बाल स्वस्थ होते हैं।

कैसे मनाएं National Cashew Day?

इस दिन को मनाने के लिए आपको बड़े आयोजनों की जरूरत नहीं। बस कुछ सरल तरीके अपनाएं:

  • पारंपरिक व्यंजन: घर पर काजू कतली, काजू करी या रोस्टेड काजू बनाएं।
  • जागरूकता फैलाएं: सोशल मीडिया पर भारतीय किसानों की कहानी शेयर करें #NationalCashewDay के साथ।
  • स्थानीय किसानों को समर्थन: अपने क्षेत्र के काजू उत्पादकों से सीधे खरीदारी करें।

राष्ट्रीय काजू दिवस 2025 थीम

राष्ट्रीय काजू दिवस 2025 की थीम आधिकारिक रूप से घोषित नहीं की गई है, लेकिन एपीडा (APEDA) और कृषि मंत्रालय की हालिया गतिविधियों से संकेत मिलते हैं कि इस वर्ष का फोकस “गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और टिकाऊ कृषि” पर होगा।

2023 में मनाए गए राष्ट्रीय काजू दिवस पर एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने कहा था कि “गुणवत्तापूर्ण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के प्रति किसानों की प्रतिबद्धता ने न केवल उद्योग के मानकों को ऊंचा किया है, बल्कि हमें वैश्विक बाजार में प्रमुख देशों के रूप में भी स्थापित किया है”।

रोचक तथ्य जो आपको चौंका देंगे

  • काजू वास्तव में एक नट नहीं, बल्कि एक बीज है।
  • काजू शब्द की उत्पत्ति – “काजू” (Cashew) शब्द पुर्तगाली शब्द “caju” से बना है।
  • काजू के बाहरी छिलके में विषैला तत्व होता है, जिसे प्रोसेसिंग से हटाया जाता है।
  • भारत का काजू उत्पादन 2021-22 में 7.79 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 8.10 लाख टन हो गया।

अंतिम शब्द

National Cashew Day केवल एक नट्स सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि भारतीय कृषि, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस दिन को हमें अपने किसानों के परिश्रम को सलाम करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का अवसर बनाना चाहिए। तो अगली बार जब आप काजू खाएं, तो याद रखें कि इसमें आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ भारत की समृद्धि भी छिपी है।

अपने दोस्तों और परिवार को काजू के इन फायदों के बारे में बताएं, और #NationalCashewDay पर सोशल मीडिया पर शेयर करके भारतीय किसानों का सम्मान करें।

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