NISAR Satellite Launch Quiz in Hindi: NISAR उपग्रह से संबंधित 20 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

NISAR Satellite Launch Quiz in Hindi: आज के युग में अंतरिक्ष विज्ञान और उपग्रह तकनीक का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत और अमेरिका के बीच हुआ NISAR मिशन इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। यह संयुक्त उपग्रह परियोजना न सिर्फ तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि दो महाशक्तियों के बीच वैज्ञानिक सहयोग का भी बेहतरीन उदाहरण है।

प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे कि SSC, UPSC, बैंक PO, रेलवे और राज्य स्तरीय परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए NISAR उपग्रह से जुड़े तथ्य अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। करंट अफेयर्स के इस गर्म विषय पर आधारित प्रश्न अक्सर विभिन्न competitive exams में पूछे जाते हैं।

इस ब्लॉग पोस्ट में हमने NISAR satellite quiz के माध्यम से 20 व्यापक प्रश्न प्रस्तुत किए हैं। यह क्विज विभिन्न कठिनाई स्तरों में विभाजित है – बुनियादी से लेकर उच्च स्तरीय तक के प्रश्न शामिल हैं, जो विशेष रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों और SSC व UPSC aspirants के लिए तैयार किए गए हैं।

हमारे general knowledge questions का उद्देश्य छात्रों को इस अत्याधुनिक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह की तकनीकी विशेषताओं, इसके उद्देश्यों और भारत-अमेरिका की इस साझेदारी के महत्व को समझाना है। हर प्रश्न के साथ विस्तृत explanation दिया गया है जो आपकी समझ को और भी मजबूत बनाएगा।

NISAR Satellite Launch Quiz in Hindi – निसार सैटेलाइट लॉन्च क्विज

1. NISAR सैटेलाइट का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार
Explanation:
  • NISAR का मतलब NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar है, जो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के बीच साझेदारी से बना है।
  • यह नाम इसलिए रखा गया क्योंकि इसमें विशेष प्रकार की रडार तकनीक का उपयोग किया गया है जो पृथ्वी की तस्वीरें लेने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल करती है।
  • इस मिशन में दोनों देशों की तकनीकी विशेषज्ञता का मिश्रण है, जिससे यह एक अनूठा अंतरराष्ट्रीय सहयोग बन गया है।

2. NISAR सैटेलाइट को कब लॉन्च किया गया?

उत्तर: 30 जुलाई 2025
Explanation:
  • NISAR सैटेलाइट को 30 जुलाई 2025 को शाम 5:40 बजे भारतीय समयानुसार श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।
  • यह लॉन्च GSLV-F16 रॉकेट के जरिए किया गया, जो इस प्रकार के मिशन के लिए सबसे उपयुक्त था।
  • मूल रूप से यह मिशन मार्च 2024 में लॉन्च होना था, लेकिन तकनीकी सुधार के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था।

3. NISAR सैटेलाइट में किन दो देशों की तकनीक का उपयोग हुआ है?

उत्तर: भारत और अमेरिका
Explanation:
  • यह भारत के ISRO और अमेरिका के NASA के बीच एक संयुक्त मिशन है, जिसमें दोनों देशों ने अपनी विशेष तकनीक का योगदान दिया है।
  • अमेरिका ने L-बैंड रडार सिस्टम और 12 मीटर का बड़ा रिफ्लेक्टर एंटीना प्रदान किया है, जबकि भारत ने S-बैंड रडार और सैटेलाइट का मुख्य हिस्सा बनाया है।
  • इस सहयोग से दोनों देशों के वैज्ञानिक अनुसंधान में नई संभावनाएं खुली हैं और भविष्य में और भी ऐसे प्रोजेक्ट हो सकते हैं।

4. NISAR सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए किस रॉकेट का उपयोग किया गया?

उत्तर: GSLV-F16
Explanation:
  • NISAR को लॉन्च करने के लिए GSLV-F16 (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) रॉकेट का उपयोग किया गया, जो 51.7 मीटर लंबा है।
  • यह पहली बार है जब GSLV रॉकेट का उपयोग सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में सैटेलाइट भेजने के लिए किया गया है।
  • इस रॉकेट में तीन चरण हैं – पहला चरण ठोस ईंधन से, दूसरा द्रव ईंधन से और तीसरा क्रायोजेनिक इंजन से चलता है।

5. NISAR सैटेलाइट की अनुमानित लागत कितनी है?

उत्तर: 12,500 करोड़ रुपए
Explanation:
  • NISAR मिशन की कुल लागत लगभग 12,500 करोड़ रुपए (1.5 बिलियन डॉलर) है, जिसमें भारत का योगदान 788 करोड़ रुपए है।
  • यह अब तक के सबसे महंगे पृथ्वी अवलोकन मिशनों में से एक है, लेकिन इसकी उन्नत तकनीक इस लागत को सही ठहराती है।
  • इस निवेश से मिलने वाला डेटा न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए उपयोगी होगा और प्राकृतिक आपदाओं से बचाव में मदद करेगा।

6. NISAR सैटेलाइट कितने दिनों में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा?

उत्तर: 12 दिन
Explanation:
  • NISAR सैटेलाइट हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह को दो बार स्कैन करेगा, जो इसकी सबसे खास विशेषता है।
  • यह तेज़ स्कैनिंग पृथ्वी की सतह में हो रहे तेज़ बदलावों को पकड़ने में मदद करेगी, जैसे कि भूकंप से पहले जमीन की हलचल।
  • इस नियमित निगरानी से वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय बदलावों का बेहतर अध्ययन कर सकेंगे।

7. NISAR सैटेलाइट में कौन से दो रडार बैंड का उपयोग किया गया है?

उत्तर: L-बैंड और S-बैंड
Explanation:
  • NISAR में NASA का L-बैंड (24 सेमी तरंगदैर्घ्य) और ISRO का S-बैंड (9 सेमी तरंगदैर्घ्य) रडार का उपयोग किया गया है।
  • L-बैंड रडार गहरे जंगलों, बर्फ और मिट्टी के नीचे की गतिविधियों को देख सकता है, जबकि S-बैंड सतही बदलावों को बेहतर तरीके से पकड़ता है।
  • यह दुनिया का पहला सैटेलाइट है जो दोहरे फ्रीक्वेंसी रडार का उपयोग करता है, जिससे अधिक सटीक और विस्तृत जानकारी मिल सकती है।

8. NISAR सैटेलाइट को “पृथ्वी का एमआरआई स्कैनर” क्यों कहा जाता है?

उत्तर: यह बहुत छोटे बदलावों को पकड़ सकता है।
Explanation:
  • NISAR को “पृथ्वी का एमआरआई स्कैनर” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह पृथ्वी की सतह में सेंटीमीटर के स्तर तक के बदलावों को पकड़ सकता है।
  • जैसे डॉक्टर एमआरआई स्कैन से शरीर के अंदर की बारीकियां देखते हैं, वैसे ही यह सैटेलाइट पृथ्वी की सतह की सबसे छोटी हलचलों को भी रिकॉर्ड कर सकता है।
  • इसकी यह क्षमता भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की शुरुआती चेतावनी देने में बहुत उपयोगी है।

9. NISAR उपग्रह की ऑर्बिट ऊंचाई कितनी है?

उत्तर: 747 किमी
Explanation:
  • NISAR उपग्रह लॉन्च के बाद 747 किमी की सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित होता है, जो नासा-इसरो संयुक्त मिशन का हिस्सा है और पृथ्वी अवलोकन उपग्रह के रूप में लगातार इमेजिंग के लिए आदर्श है, क्योंकि यह सूर्य की रोशनी के साथ सिंक्रोनाइज रहता है।
  • यह ऊंचाई भूकंप चेतावनी और जलवायु परिवर्तन निगरानी जैसे कार्यों के लिए जरूरी है, क्योंकि इससे सिंथेटिक अपर्चर रडार छोटे-छोटे सतह बदलावों को सटीक रूप से कैप्चर कर सकता है, जैसे 1 सेंटीमीटर तक की गतिविधियां।
  • ऑर्बिट का डिजाइन मिशन को हर 12 दिनों में पूरी पृथ्वी को स्कैन करने की क्षमता देता है, जो वैश्विक पर्यावरण अध्ययन और आपदा प्रबंधन में भारत जैसे देशों के लिए क्रांतिकारी साबित होगा।
[Source: ISRO official website]

10. NISAR सैटेलाइट से मिलने वाला डेटा किसके लिए उपलब्ध होगा?

उत्तर: पूरी दुनिया के लिए
Explanation:
  • NISAR से मिलने वाला सभी डेटा मुफ्त में दुनिया भर के वैज्ञानिकों, सरकारों और आम लोगों के लिए उपलब्ध होगा।
  • यह दुनिया भर के शोधकर्ताओं को जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण संरक्षण पर काम करने में मदद करेगा।
  • इसका मतलब है कि विकासशील देश भी इस महंगी तकनीक से मिलने वाली जानकारी का फायदा उठा सकेंगे और अपने देश की समस्याओं का समाधान खोज सकेंगे।

11. NISAR उपग्रह पृथ्वी की सतह पर कितने छोटे बदलाव को माप सकता है?

उत्तर: 1 सेंटीमीटर से भी कम
Explanation:
  • NISAR उपग्रह अविश्वसनीय रूप से संवेदनशील है और पृथ्वी की सतह पर होने वाले बहुत छोटे बदलावों का भी पता लगा सकता है।
  • यह लगभग एक सेंटीमीटर (या आधे इंच से भी कम) के विस्थापन को मापने में सक्षम है, जो इसे अब तक के सबसे उन्नत पृथ्वी-अवलोकन उपग्रहों में से एक बनाता है।
  • यह क्षमता भूकंपीय गतिविधियों या बांधों और पुलों जैसे बुनियादी ढाँचे में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण है।

12. NISAR उपग्रह का प्रक्षेपण कहाँ से किया गया था?

उत्तर: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
Explanation:
  • NISAR का प्रक्षेपण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा से किया गया।
  • यह इसरो का प्रमुख प्रक्षेपण स्थल है, जहाँ से भारत अपने अधिकांश प्रतिष्ठित मिशनों को लॉन्च करता है।
  • यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसका प्रक्षेपण भारतीय धरती से हुआ।

13. इस मिशन में इसरो (ISRO) का मुख्य योगदान क्या था?

उत्तर: एस-बैंड रडार और प्रक्षेपण यान
Explanation:
  • इसरो ने इस संयुक्त मिशन के लिए एस-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) का विकास और निर्माण किया है।
  • इसके अतिरिक्त, इसरो ने उपग्रह का मुख्य ढाँचा (जिसे सैटेलाइट बस कहा जाता है) और इसे लॉन्च करने के लिए शक्तिशाली GSLV रॉकेट भी प्रदान किया।
  • नासा ने एल-बैंड रडार, एक विशाल रडार एंटीना और डेटा संचार प्रणाली जैसे प्रमुख घटक प्रदान किए हैं।

14. NISAR उपग्रह में प्रयुक्त होने वाली मुख्य तकनीक क्या है?

उत्तर: सिंथेटिक अपर्चर रडार
Explanation:
  • NISAR उपग्रह लॉन्च में सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक का उपयोग होता है, जो नासा-इसरो संयुक्त मिशन का कोर है और पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को बादलों या अंधेरे में भी काम करने की ताकत देता है।
  • यह तकनीक भूकंप चेतावनी और जलवायु परिवर्तन निगरानी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोहरी फ्रीक्वेंसी (L और S-बैंड) से यह सतह के सूक्ष्म बदलावों को ट्रैक करती है, जैसे जंगलों में वृद्धि या बर्फ पिघलना।
  • यह तकनीक भूकंप चेतावनी और जलवायु परिवर्तन निगरानी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोहरी फ्रीक्वेंसी (L और S-बैंड) से यह सतह के सूक्ष्म बदलावों को ट्रैक करती है, जैसे जंगलों में वृद्धि या बर्फ पिघलना।

15. NISAR उपग्रह को पृथ्वी की किस प्रकार की कक्षा में स्थापित किया जाएगा?

उत्तर: सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा (Sun-Synchronous Orbit)
Explanation:
  • NISAR को पृथ्वी से लगभग 747 किलोमीटर की ऊँचाई पर एक सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
  • इस कक्षा की खासियत यह है कि उपग्रह पृथ्वी के किसी भी हिस्से के ऊपर से हमेशा एक ही स्थानीय समय पर गुजरता है।
  • इससे वैज्ञानिकों को एक ही स्थान की लगातार तस्वीरें समान प्रकाश स्थितियों में मिलती हैं, जिससे सतह पर हो रहे बदलावों का अध्ययन करना आसान हो जाता है।

16. NISAR उपग्रह पर लगे विशाल एंटीना रिफ्लेक्टर का व्यास कितना है?

उत्तर: 12 मीटर
Explanation:
  • NISAR की सबसे खास विशेषताओं में से एक इसका 12-मीटर (लगभग 39 फीट) चौड़ा तार की जाली वाला रिफ्लेक्टर एंटीना है।
  • यह एंटीना कक्षा में पहुंचने के बाद 9-मीटर लंबी बूम (छड़) पर खुलेगा।
  • इतना बड़ा एंटीना उपग्रह को उच्च-गुणवत्ता वाली रडार छवियां प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे पृथ्वी की सतह का विस्तृत नक्शा तैयार किया जा सकता है।

17. NISAR उपग्रह प्रतिदिन कितना डेटा उत्पन्न करने की क्षमता रखता है?

उत्तर: 80 टेराबाइट (TB)
Explanation:
  • NISAR उपग्रह अपनी उच्च-रिज़ॉल्यूशन द्विआवृत्ति इमेजिंग क्षमता के कारण प्रतिदिन लगभग 80 टेराबाइट डेटा उत्पन्न करेगा.
  • यह भारी डेटा उत्पादन दर इसे दुनिया के सबसे डेटा-गहन पृथ्वी अवलोकन मिशनों में से एक बनाती है.
  • इस विशाल डेटा को संसाधित करने और संग्रहीत करने के लिए नासा और इसरो दोनों को अत्याधुनिक डेटा प्रबंधन प्रणालियों का विकास करना पड़ा है.

18. NISAR का विशाल रिफ्लेक्टर एंटीना कक्षा में पहुंचने के बाद कैसे तैनात किया जाएगा?

उत्तर: 9-मीटर लंबी तैनाती योग्य बूम (deployable boom) द्वारा
Explanation:
  • NISAR का 12-मीटर व्यास का विशाल एंटीना एक जटिल 9-मीटर लंबी तैनाती योग्य बूम पर माउंट किया गया है, जो नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) द्वारा डिजाइन किया गया है.
  • यह बूम कक्षा में पहुंचने के बाद एक बहु-चरणीय तैनाती प्रक्रिया के माध्यम से धीरे-धीरे खुलेगा, जो इंजीनियरिंग की एक जटिल उपलब्धि है.
  • एंटीना की सफल तैनाती मिशन की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिना इसके उपग्रह अपना मुख्य कार्य नहीं कर सकता.

19. NISAR मिशन में “कमीशनिंग फेज” (Commissioning Phase) की अवधि कितनी निर्धारित की गई है?

उत्तर: 90 दिन
Explanation:
  • NISAR मिशन का कमीशनिंग फेज प्रक्षेपण के बाद 90 दिनों की अवधि के लिए निर्धारित किया गया है, जिसे इन-ऑर्बिट चेकआउट (IOC) भी कहा जाता है.
  • इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान सभी उपकरणों का परीक्षण, कैलिब्रेशन और सिस्टम की जांच की जाएगी ताकि वैज्ञानिक संचालन के लिए उपग्रह को तैयार किया जा सके.
  • कमीशनिंग पूरी होने के बाद ही NISAR अपना मुख्य वैज्ञानिक मिशन शुरू करेगा और नियमित रूप से पृथ्वी की सतह का अवलोकन करना आरंभ करेगा.

20. NISAR मिशन से किस क्षेत्र में सबसे ज्यादा फायदा होगा?

उत्तर: कृषि और पर्यावरण निगरानी
Explanation:
  • NISAR सैटेलाइट से किसानों को फसल की स्थिति और मिट्टी की नमी की जानकारी मिलेगी, जो कृषि में मदद करेगी।
  • यह पर्यावरण की रक्षा के लिए जंगलों, ग्लेशियरों और समुद्र के स्तर की निगरानी भी करता है।
  • इस मिशन से वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने में भी सहायता मिलेगी।
[Source: testbook.com]

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NISAR उपग्रह मिशन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। यह सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है। इस मिशन ने दिखाया है कि जब दो देश मिलकर काम करते हैं, तो असाधारण परिणाम प्राप्त होते हैं।

हमारी यह NISAR उपग्रह quiz विशेष रूप से उन छात्रों के लिए डिजाइन की गई है जो competitive exam preparation कर रहे हैं। NISAR से जुड़े इन 20 महत्वपूर्ण प्रश्नों का अध्ययन करके आप न केवल अपनी general knowledge में सुधार लाएंगे, बल्कि समसामयिक घटनाओं पर अपनी पकड़ भी मजबूत करेंगे।

इस NISAR satellite launch quiz के माध्यम से हमने जो जानकारी साझा की है, वह आपकी परीक्षा की तैयारी में निश्चित रूप से सहायक सिद्ध होगी। NISAR जैसे महत्वपूर्ण मिशन को समझना आज के समय में अनिवार्य है, क्योंकि यह भविष्य में पृथ्वी की जलवायु और पर्यावरणीय बदलावों को समझने में क्रांतिकारी भूमिका निभाएगा।

और अंत में, हमारी सलाह यह है कि आप इन MCQ questions का नियमित अभ्यास करें और प्रत्येक प्रश्न के स्पष्टीकरण को ध्यान से पढ़ें। यह न केवल आपकी exam preparation को मजबूत बनाएगा, बल्कि विज्ञान और तकनीक के प्रति आपकी रुचि भी बढ़ाएगा। NISAR मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है, और हमें गर्व है कि हम इस महान उपलब्धि के साक्षी बने हैं।

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